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कहानी संग्रह >> भूत खेला

भूत खेला

गीताश्री

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17295
आईएसबीएन :9789389012613

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"भूत मुझे डराते नहीं, मैं उन्हें सुनने बुलाती हूँ।"

मेरे पास नहीं है कोई सुरक्षा कवच। मैं फिर भी प्रेतों को आमन्त्रित करती हूँ। आओ, मुझे और भी तुम्हारी कथाएँ कहनी हैं…अब तुम दे जाओ कथाएँ। कह जाओ अपने दमन की कथाएँ, शोषण की दास्तानें और अतृप्त इच्छाओं की अर्जियाँ दे जाओ। उन्हें कथा में पूरी करूँगी। आख़िर कहानी में एक मनवांछित संसार रचने का साहस तो है न मेरे पास। मेरा बचपन गाँव में अधिक गुज़रा है, सो मेरे पास वहीं की कहानियाँ बहुत हैं। शहरों में ज़िन्दा भूत मिले थे। उनकी कथाएँ तो लिखती ही रहती हूँ। पहली बार ऐसे भूतों की कहानियाँ लिखी हैं… अब आपके हवाले हैं भूत कथाएँ… शुक्रिया उन भूतों का जिन्होंने पीछे पड़कर लिखवा लिया। उन्हें भुतहा सलाम। किताब पढ़ते पीछे मुड़कर मत देखना… भूत भाग जायेगा।

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